Friday, December 25, 2009

लाइलाज बीमारियों में कारगर है होम्योपैथिक चिकित्सा !!


लाइलाज बीमारियों एवं दर्द से मुक्ति पाने के लिये मनुष्य सदियों से प्रयत्नरत है। प्राचीन समय में बीमारियों से छुटकारा पाने के लिये लोग वैद्य-हकीमों, जादूगरों, शोमैनों और पुजारियों की शरण लेते थे। आधुनिक समय में बीमारियों के इलाज के लिये हालांकि अनेक आधुनिक औषधियों, आधुनिक किस्म की सर्जरी और अनेक चिकित्सा विधियों का विकास हो चुका है लेकिन अक्सर देखा जाता है कि उपचार की ऐलोपैथी की औषधियों एवं आधुनिक चिकित्सा विधियों बीमारियां दूर होने के बजाय गंभीर होती जाती है और एक स्थिति ऐसी आती है जब दवाईयां और इंजेक्शन निष्प्रभावी हो जाते हैं। कई बार ये दवाईयां खुद मर्ज से कहीं अधिक परेशानी पैदा करती हैं। इन दवाईयों के दुष्प्रभाव के कारण नयी बीमारियां पैदा हो जाती हैं। कई बार ऐलोपैथी रक्त स्राव अथवा दिमागी दौरे का कारण बन सकती हैं जिनसे रोगी की मौत तक हो सकती है। आज जब दर्दनिवारक दवाईयों के अंधाधुंध सेवन ने एक महामारी का रूप धारण कर लिया है वैसे में अनेक देशों में होम्योपैथिक चिकित्सा को दर्द निवारण एवं प्रबंधन की कारगर एवं दुष्प्रभावरहित पद्धति के रूप में लोकप्रियता हासिल हो रही है।डा। बिदानी बताते हैं कि कोई भी दर्द लाइलाज नहीं होता है। दर्द शरीर के किसी भाग में उत्पन्न किसी न किसी व्याधि का संकेत होता है और इसलिये दर्द को स्थायी तौर पर जड़ से दूर करने के लिये उस व्याधि या दर्द के कारण को ठीक करना जरूरी है। होम्योपैथिक चिकित्सा मरीज को दर्द से राहत दिलाने के साथ-साथ दर्द के कारण को दूर करती है। इसलिये किसी भी तरह के दर्द और रोग से ग्रस्त मरीज को जल्द से जल्द होम्योपैथिक चिकित्सा की मदद लेनी चाहिये।डा. बिदानी बताते हैं कि होम्योपैथिक चिकित्सा दर्द से प्रभावित क्षेत्र की मांसपेशियों को रिलैक्स होने में मदद करती है तथा शरीर में प्राकृतिक दर्दनिवारक तत्व के उत्सर्जन को बढाती है। इसके अलावा यह प्रभावित भाग में रक्त प्रवाह को बढ़ाती तथा वहां की स्नायुओं की कार्यक्षमता में सुधार लाती है। इसके परिणाम स्वरूप होम्योपैथिक चिकित्सा दर्द से तत्काल राहत दिलाने के साथ - साथ शरीर की हीलिंग रिस्पौन्स को स्पंदित करती है। डा. बिदानी का कहना है कि होम्योपैथिक चिकित्सा को प्रसव पीड़ा को नियंत्रित करने तथा सामान्य प्रसव सुनिश्चित कराने में काफी कारगर पाया गया है। कुछ समय तक होम्योपैथिक चिकित्सा नियमित रूप से लेते रहने पर दर्द धीरे - धीरे कम होता है और कुछ समय बाद दर्द इतना कम या नगण्य हो जाता है कि मरीज को सामान्य जीवन में कोई दिक्कत नहीं होती है। होम्योपैथिक चिकित्सा के साथ मरीज दर्द से राहत पाने के लिये एक्युपंक्चर के अलावा एक्युपे्रषर, योग एवं ध्यान, रेकी चिकित्सा आदि की भी मदद ले सकता है।

होम्योपैथिक चिकित्सा जैसी विभिन्न वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों की मदद से लाइलाज बीमारियों से पीड़ित मरीजों को किसी दवाई की मदद के बगैर स्थायी तौर पर राहत दिलायी जा सकती है। होम्योपैथिक चिकित्सा कमर दर्द, गर्दन दर्द, आथ्र्राइटिस, ओस्टियो - आथ्र्राइटिस, गठिया, सियाटिका, कैंसर पीड़ा, सिर दर्द, माइग्रेन, इरीटेबल बाउल सिंड्रोम, साइनुसाइटिस, डिस्क समस्या, पेट दर्द, हर्पिज, न्यूरेल्जिया और डायबेटिक न्यूरोपैथी जैसे किसी भी तरह के दर्द का सफलतापूर्वक निवारण हो सकता है। इसके अलावा हाल के वर्षों में होम्योपैथिक चिकित्सा को कैंसर रोगियों को कष्टों से निजात दिलाने की एक महत्वपूर्ण तरकीब के रूप में माना जाने लगा है। मौजूदा समय में होम्योपैथिक चिकित्सा एक सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति के रूप में विकसित हुआ है।

1 comment:

Dr Prabhat Tandon said...

हिन्दी चिठ्ठाकरी मे डा. नवीन आपका स्वागत है , अपने अनुभवों का आदान प्रदान निरतंर करते रहे । word verification को setting मे जा कर हटा ले , अकसर इससे काफ़ी दुशवारी कमेन्ट करने वालों को होती है । http://chitthajagat.in/ पर जाकर अपने ब्लाग को रजिस्टर करवायें ।