नाखून, जो एक हमारे शरीर में सबसे दृढ संरचनाओ में से हैं, आश्चर्यजनक हैं, वास्तव में यह मृत कोशिकाओं का संग्रह है | सभी चाहते हैं कि उनके नाखून बड़े और सुन्दर दिखें। अगर आपके नाखून हफ्ते में 0.6 से 1.3 मी.मी. बढ़ते हैं तो आप स्वस्थ माने जाएँगे। गर्मियों में इनके बढ़ने की रफ्तार तेज होती है, लेकिन सर्दियों में धीमी। नाखून सामान्य स्वास्थ्य का एक आईना हैं, जो नाखूनों की गुणवत्ता में परिलक्षित होती है, जो शरीर में मौजूदा चिकित्सा अवस्थाओं में होती हैं| इस प्रकार नाखून भी चिकित्सकों के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण नैदानिक उपकरण हैं| आपको यह जानकर आर्श्च होगा कि आपके नाखून भी आपके स्वास्थ्य की सारी पोल खोल देते हैं। आप कैसा खाते हैं, क्या खाते हैं, आपकी सोच और रहन-सहन भी।
आपके खाने के गलत तरीकों, प्रोटीन की कमी, थायरॉईड संबंधी परेशानी या खून की कमी सबकुछ आपके नाखून कह देते हैं। स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को आप अपने नाखून देखकर भी पता कर सकते हैं।
कैसे पहचानेंगे नाखून से अपने स्वास्थ्य की कमजोरियों को-*अगर आपके नाखून के आस-पास की त्वचा सूख रही है। तो यह आपके शरीर में विटामिन 'सी', फोलिक एसिड, और प्रोटीन की कमी को दर्शाता है। इसके लिए आप हरी पत्तीदार सब्जियों का सेवन करें। मछली और अण्डे खाएँ।
* नाखूनों पर सफेद धब्बे यह दर्शाते हैं कि आपके शरीर में जिंक और विटामिन 'बी' की कमी है। चना इन दोनों का बड़ा ही बेहतर स्त्रोत है। ज्वार, बाजरा से भी इसकी कमी को पूरा किया जा सकता है।
*नाखूनों का धीमी गति से बढ़ना यह बताता है कि आप प्रोटीन की कमी और विटामिन 'ए' की कमी से जूझ रहे हैं। इसके लिए हौम्योपैथी में कई दवाएँ उपलब्ध हैं। मानसिक अशांति, प्रोटीन और जिंक की कमी नाखूनों की वृद्धि में बाधक होते हैं।
*नाखूनों का भद्दा रंग आपके लगातार नेलपॉलिश के इस्तेमाल की वजह से भी हो सकता है। पीले नाखून धूम्रपान की वजह से होते हैं। जबकि नीले नाखून साँस संबंधी समस्याओं और पीले और हल्के सफेद रंग के नाखून एनीमिया के कारण होता है। इसके लिए चुकंदर का सेवन करना लाभदायक रहता है। विटामिन 'सी' के स्त्रोत वाले फल और सब्जियों का प्रयोग भी कर सकते हैं।
*शरीर के अंदर कैल्शियम और विटामिन की कमी से नाखून कमजोर होकर टूटते रहते है। इसको दूर करने के लिए भोजन में पौष्टिक आहार लेना चाहिए और दूध या दूध से बने पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए।
दुनियाभर में हुए कुछ शोधों के अनुसार यह तथ्य प्रमाणित हो चुका है कि विभिन्न बीमारियों में नाखूनों का रंग बदल जाता है। जैसे
• सफेद रंग के नाखून लिवर से संबंधित बीमारियों जैसे हेपेटाइटिस- की खबर देते हैं।
• पीले नाखून (जो आकार में मोटे हों और धीरे-धीरे बढ़ते हों) फेफड़े संबंधी बीमारियों के परिचायक हैं।
• आधे सफेद और आधे गुलाबी नाखून गुर्दे संबंधी बीमारियों का संकेत देते हैं।
• यदि नाखूनों का रंग पीला है या उनकी पर्त सफेद है, तो यह लक्षण शरीर में खून की कमी(एनीमिया)का लक्षण है।
नाखूनों पर ध्यान ना देने से कुछ महिलाओं में हैंग नेल्स तथा स्पून नेल्स जैसी समस्याएं पैदा हो जाती है।
हैंग नेल्स : 
हैंग नेल्स में नाखून के किनारे की त्वचा छिलके के जैसी अलग हो जाती है, जिसके कारण नाखूनों में सूजन और जलन होने लगती है। इसके उपचार के लिए विटामिन सी और प्रोटीनयुक्त भोजन का ज्यादा सेवन करना चाहिए।
स्पून नेल्स :
हममें से बहुतों के उत्तल या उभरे हुए नाखून होते है, किसी गेंद जैसी गोलाई लिए हुए, लेकिन यदि आपके नाखूनों के बीच में गड्ढा है तो यह इस बात का संकेत है कि आपके शरीर में आयरन की कमी है। रक्त की कमी से नाखून टेढ़े-मेढ़े और खुरदुरे हो जाते हैं।
बीमारी है नाखून चबानाआपका बच्चा अगर नाखून चबाता है तो उस जरूर ध्यान दीजिये। ऑनिकोफेजिया सुनने में कुछ अटपटा सा लगता है पर इस परेशानी से बहुत सारे लोग पीड़ित होते हैं। ऐसा नहीं है कि यह समस्या केवल बच्चों में ही होती है। कई बार यह समस्या बड़ों में भी पाई जाती है।
सामान्य तौर पर हम इसे इसे नाखून चबाने के रूप में या नेल-बाइटिंग के रूप में जानते हैं। आमतौर पर आदमी जब तनाव में किसी बात को लेकर उत्सहित होता है तो वह नाखून कुतरता या चबाता है। जब आदमी के पास कोई काम नहीं होता तब भी वह बोर होने पर नाखून काटने का ही काम करता है। शर्म य झुंझलाहट में भी लोग नाखून खाने लगते हैं।
नर्वस-हैबिट के तहत नाखून खाना, अंगूठा चूसना, नाक में उंगली डालना, बाल को मरोड़ना या खींचना, दांत पीसना या अपनी त्वचा को बार-बार छूना शामिल है। आश्चर्य की बात यह है कि ऐसा करने वाला इसे महसूस नहीं कर पाता है जबकि सामने से देखने वाला इसे महसूस कर लेता है। आदत पड़ जाने पर आदमी काम करते हुए, बुक पढ़ते, फोन पर बातें करते और टीवी देखने जैसे कामों को करते हुए भी लोग नाखून चबाते देखे जाते हैं।
कई बार लोग नाखून चबाने के साथ-साथ क्यूटिकल्स और नाखून के इर्द-गिर्द की त्वचा को भी काटते हैं। जहां एक ओर यह देखने में बुरा लगता है वहीं स्वास्थ्य की दषटि से भी यह नुकसान देह होता है।
होम्योपैथिक उपचार:दवाएँ - होम्योपैथी दवाएँ जो लक्षणागत नाखून से जुड़ी समस्याओं में काम करती हैं वे इस प्रकार हैं। मरक्यूरस सौल, नेट्रम सल्फ, मेडोराइनम, लाईकोयोडियम, सल्फर इत्यादि ।
उपरोक्त दवाये केवल उदहारण के तौर पर दी गयी है| कृपया किसी भी दवा का सेवन बिना परामर्श के ना करे, क्योकि होम्योपैथी में सभी व्यक्तियों की शारीरिक और मानसिक लक्षण के आधार पर अलग -अलग दवा होती है !