Tuesday, February 2, 2010

सावधान रहें जाती सर्दियों से...


फरवरी माह में दिन बड़े रहस्यमयी हो जाते हैं। सर्दी और गर्मी का जबर्दस्त खेल चलता है इस महीने में। आप सोचते हैं गर्मी आ गई और अचानक मौसम में ठंडक आ जाती है। आपने अगर गर्म कपड़े साथ रखें हैं तो धूप के तीखे तेवर से बेहाल हो जाते हैं। लेकिन सही मायनों में ऋतुओं के इस संक्रमण काल में ही सावधानी की आवश्यकता होती है। जाती हुई सर्दी में नाक बहना, लगातार छींके आना, गले में खराश, सीने में जकड़न जैसी स्वास्थ्य समस्याएं आम हैं। इसलिए इस मौसम में आपको अपनी सेहत को लेकर थोड़ा सा सावधान रहने की जरूरत है। इस मौसम में बुखार और संक्रमण काफी तेजी से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आप पहले से ही एहतियात बरतें। संक्रमण से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप पौष्टिक खाना खाकर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं। साथ ही भरपूर नींद लें और व्यायाम करें। अपने खाने में पपीता, कद्दू, गाजर, टमाटर, पालक, अमरूद जैसी मौसमी सब्जियों और फलों को जरूर शामिल करें। इनसे आपके शरीर का तापमान भी मौसम के मुताबिक गर्म रहेगा। इस मौसम में बीमारियों से बचाव के लिए हर उम्र के लोगों को खास एहतियात बरतने की जरूरत होती है। इस मौसम में छोटे बच्चों को बाहर की ठंडी हवा के बचाकर रखना चाहिए। बच्चों को नहलाने के बाद उन्हें तुरंत गर्म कपड़े पहना दें, क्योंकि अगर एक बार उनके शरीर में ठंड बैठ गई, तो उन्हें ठीक होने में वक्त लग सकता है। विशेषकर अस्थमा के मरीज को यह मौसम बड़ा सताता है, अस्थमा के मरीजों को घर और बाहर मौसम के अचानक बदलावों से सावधान रहना चाहिए। खास तौर पर सुबह के वक्त गर्म बिस्तर से उठकर एकदम खुली हवा में न जाएं, बल्कि थोड़ा इंतजार करें।

बुजुर्ग कहते हैं सबसे मजाक करो, पर सर्दी से नहीं। सर्दी सबसे ज्यादा सिर, कान और पैरों के जरिए शरीर में प्रवेश करती है। इसलिए अपने शरीर के इन हिस्सों को ठंडी हवाओं से बचाकर रखें। शरीर के रक्त संचार को सही स्तर पर रखने के लिए हर रोज व्यायाम करना न भूलें। अक्सर लोग सर्दी लगने पर डॉक्टर की सलाह के बिना ऐलोपैथिक दवाएँ लेते हैं। ऐलोपैथिक दवाएँ शरीर के दर्द व बुखार को कम तो कर देती हैं, लेकिन सर्दी-जुकाम पर इनका खास असर नहीं होता। सर्दी लगने पर प्राकृतिक या होम्योपैथिक इलाज, चिकन सूप, सौंठयुक्त चाय, अदरक-लहसुन, प्राकृतिक विटामिन और जड़ी-बूटियों के सेवन से बहुत आराम मिलता है।

इसी प्रकार कुछ उपाय हैं जिनके उपयोग से आप सर्दी से बच सकते हैं।

औषधियों वाली चाय
औषधी वाली चाय गर्म होती है। इसके सेवन से गले की खिचखिच में आराम मिलता है। दालचीनी, कालीमिर्च, जायफल, लौंग, अदरक या तुलसी की पत्ती डालकर बनाई गई चाय सर्दी-जुकाम में लाभकारी होती है।

चिकन सूप
जिन लोगों को अस्थमा की शिकायत होती है उनके लिए सर्दी में चिकन सूप बहुत लाभदायक है। इसमें एमिनो एसिड होता है, जिससे सर्दी के दौरान अस्थमा में आराम मिलता है। इसकी भाप लेने से भी आराम मिलता है।

विटामिन सी
सर्दी लगने पर विटामिन सी भी गुणकारी है। सौ मिलीग्राम की खुराक रोज लेने से सर्दी में आराम मिलता है। अधिक मात्रा में लेने पर हानि भी हो सकती है और पाचन शक्ति कमजोर हो सकती है। प्राकृतिक रूप से विटामिन सी आँवले, नीबू, संतरा आदि फलों में पाया जाता है।

होम्योपैथिक उपचार:
दवाएँ - होम्योपैथिक दवाएँ जो लक्षणागत इन्फ्लुएंजा, कोल्ड और फ्लू में काम करती हैं वे इस प्रकार हैं।
एकोनाईट 6 , 30, जेलसिमियम- 6, 30, इयुपेटोरियल पर्फ़ 6, 30, आर्सेनिक आयोड , एलियम सिपा, काली बाईक्रोम, मरक्यूरस सौल, नेट्रम सल्फ, इन्फ्लून्जियम-30 , 200 एवं आर्सेनिक अल्ब।

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