Saturday, November 17, 2012
Thursday, November 8, 2012
मौसमी एलर्जी: कारण और निवारण
मौसम बदलने के साथ ही एलर्जी का आगमन होने लगता है। एलर्जी अपने वातावरण-पर्यावरण के प्रति मनुष्य की संवेदनशीलता की अभिव्यक्ति है। साधारण भाषा में कह सकते हैं कि शरीर दा्रा किसी पदार्थ को नापसंद करने की अभिव्यक्ति को ही एलर्जी कहते हैं। हमारे वातारण में किसी विघमान किसी भी वस्तु या पदार्थ से संवेदनशील आदमी को कभी भी एलर्जी हो सकत४रागकण ज्यादा मात्रा में पेड़ों से झड़ते हैं। एंव लंबे समय तक वातावरण में रहते हैं और एलर्जी का कारण बनते हैं।
विभिन्न एलर्जी
1. घर पर धूल- धूल में पाए जाने वाले माइट बहुत सूक्ष्म होते हैं, जो बिस्तरों में, जानवरों के पंखों में, पुरानी लकड़ी में ज्यादा मिलते हैं।
2. परागकणं- तरह-तरह के पेड़-पौधों एंव फूलों के परागकण मुख्य हैं। पालतू जानवरों के पंखो और बालों से भी एलर्जी हो सकती है।
3. खाघ पदार्थो से- अंडे, कई प्रकार के नट्स (बादाम, अखरोट, काजू), दूध, सोयाबीन, अनाज आदि साधारण वस्तुओं से भी एलर्जी हो सकती है। दूध एंव दूध से बनी वस्तुएं यापरागकण ज्यादा मात्रा में पेड़ों से झड़ते हैं। एंव लंबे समय तक वातावरण में रहते हैं और एलर्जी का कारण बनते हैं।
विभिन्न एलर्जी
1. घर पर धूल- धूल में पाए जाने वाले माइट बहुत सूक्ष्म होते हैं, जो बिस्तरों में, जानवरों के पंखों में, पुरानी लकड़ी में ज्यादा मिलते हैं।
2. परागकणं- तरह-तरह के पेड़-पौधों एंव फूलों के परागकण मुख्य हैं। पालतू जानवरों के पंखो और बालों से भी एलर्जी हो सकती है।
3. खाघ पदार्थो से- अंडे, कई प्रकार के नट्स (बादाम, अखरोट, काजू), दूध, सोयाबीन, अनाज आदि साधारण वस्तुओं से भी एलर्जी हो सकती है। दूध एंव दूध से बनी वस्तुएं यानी आइसक्रीम, बिस्कुट, मिठाई आदि से भी एलर्जी हो सकती है।
4. कई प्रकार के धातुओं से- सोना, चांदी, लोहा, एल्यूमिनियम एंव इनसे संपर्क में रहने से भी एलर्जी हो सकती है।
बचाव एंव उपचार -
आप उस चीज या पदार्थ से बचे जिससे आपको एलर्जी है। धल एंव धुएं से बचें और स्कूटर से निकलने पा मुंह पर कपड़ा बांध लें जिससे एलर्जी सीधे नाक के संपर्क में न आए। आंखों पर भी काला चशमा लगाना चाहिये। घर में नमी वाले स्थान से बचना चाहिये।
होम्योपैथिक चिकित्सा:
होम्योपैथी में लक्षणों के आधार पर दवा का चयन किया जाता है। आर्सेनिक एल्बम, सैबेडिला, एलियम सीपा, ब्रोनियम, जैल्सीमियम, एरेकिया, मर्कसैल, सोराइनम आदि मुख्य दवाएं हैं। जिनका सेवन क्वालिफाइड होम्योपैथिक फिजिशियन की देखरेख में कर, एलर्जी से काफी हद तक बचा जा सकता है।
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