Sunday, May 16, 2010

सोरायसिस बीमारी एवं होम्योपैथिक उपचार |

इस समय देश की 5 फीसदी आबादी सोरायसिस की शिकार है। सोरायसिस त्वचा की ऊपरी सतह का चर्म रोग है जो वैसे तो वंशानुगत है लेकिन कई कारणों से भी हो सकता है। आनु्वंशिकता के अलावा इसके लिए पर्यावरण भी एक बड़ा कारण माना जाता है। यह असाध्य बीमारी कभी भी किसी को भी हो सकती है। कई बार इलाज के बाद इसे ठीक हुआ समझ लिया जाता है जबकि यह रह-रहकर सिर उठा लेता है। शीत ऋतु में यह बीमारी प्रमुखता से प्रकट होती है।

सोरायसिस चमड़ी की एक ऐसी बीमारी है जिसके ऊपर मोटी परत जम जाती है। दरअसल चमड़ी की सतही परत का अधिक बनना ही सोरायसिस है। त्वचा पर भारी सोरायसिस की बीमारी सामान्यतः हमारी त्वचा पर लाल रंग की सतह के रूप में उभरकर आती है और स्केल्प (सिर के बालों के पीछे) हाथ-पाँव अथवा हाथ की हथेलियों, पाँव के तलवों, कोहनी, घुटनों और पीठ पर अधिक होती है। 1-2 प्रतिशत जनता में यह रोग पाया जाता है।



क्या है लक्षण:
रोग से ग्रसित (आक्रांत) स्थान की त्वचा चमकविहीन, रुखी-सूखी, फटी हुई और मोटी दिखाई देती है तथा वहाँ खुजली भी चलती है। सोरायसिस के क्रॉनिक और गंभीर होने पर 5 से 40 प्रतिशत रोगियों में जोड़ों का दर्द और सूजन जैसे लक्षण भी पाए जाते हैं एवं कुछ रोगियों के नाखून भी प्रभावित हो जाते हैं और उन पर रोग के चिह्न (पीटिंग) दिखाई देते हैं।

क्यों और किसे होता है सोरायसिस:
सोरायसिस क्यों होता है इसका सीधे-सीधे उत्तर देना कठिन है क्योंकि इसके मल्टीफ्लेक्टोरियल (एकाधिक) कारण हैं। अभी तक हुई खोज (रिसर्च) के अनुसार सोरायसिस की उत्पत्ति के लिए मुख्यतः जेनेटिक प्री-डिस्पोजिशन और एनवायरमेंटल फेक्टर को जवाबदार माना गया है।सोरायसिस हेरिडिटी (वंशानुगत) रोगों की श्रेणी में आने वाली बीमारी है एवं 10 प्रश रोगियों में परिवार के किसी सदस्य को यह रोग रहता है।

किसी भी उम्र में नवजात शिशुओं से लेकर वृद्धों को भी हो सकती है। यह इंफेक्टिव डिसिज (छूत की बीमारी) भी नहीं है। सामान्यतः यह बीमारी 20 से 30 वर्ष की आयु में प्रकट होती है, लेकिन कभी-कभी इस बीमारी के लक्षण क्रॉनिक बीमारियों की तरह देरी से उभरकर आते हैं। सोरायसिस एक बार ठीक हो जाने के बाद कुछ समय पश्चात पुनः उभर कर आ जाता है और कभी-कभी अधिक उग्रता के साथ प्रकट होता है। ग्रीष्मऋतु की अपेक्षा शीतऋतु में इसका प्रकोप अधिक होता है।

रोग होने पर क्या करें:
सोरायसिस होने पर विशेषज्ञ चिकित्सक के बताए अनुसार निर्देशों का पालन करते हुए पर्याप्त उपचार कराएँ ताकि रोग नियंत्रण में रहे। थ्रोट इंफेक्शन से बचें और तनाव रहित रहें, क्योंकि थ्रोट इंफेक्शन और स्ट्रेस सीधे-सीधे सोरायसिस को प्रभावित कर रोग के लक्षणों में वृद्धि करता है। त्वचा को अधिक खुश्क होने से भी बचाएँ ताकि खुजली उत्पन्न न हो। परहेज नाम पर मात्र मदिरा और धूम्रपान का परहेज है क्योंकि ये दोनों ही सीधे सीधे इस व्याधि को बढाते है.


क्या है उपचार:
सोरायसिस के उपचार में बाह्य प्रयोग के लिए एंटिसोरियेटिक क्रीम/ लोशन/ ऑइंटमेंट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन जब बाह्योपचार से लाभ न हो तो मुँह से ली जाने वाली एंटीसोरिक और सिमटोमेटिक होम्योपैथिक औषधियों का प्रयोग आवश्यक हो जाता है।

होम्योपैथिक औषधियाँ: - लक्षणानुसार मरक्यूरस सौल, नेट्रम सल्फ, मेडोराइनम, लाईकोपोडियम, सल्फर, सोराइन्म, आर्सेनिक अल्ब्म, ग्रफाइट्स, इत्यादि अत्यंत कारगर होम्योपैथिक दवाएँ हैं।

उपरोक्त दवाये केवल उदहारण के तौर पर दी गयी है .कृपया किसी भी दवा का सेवन बिना परामर्श के ना करे, क्योकि होम्योपैथी में सभी व्यक्तियों की शारीरिक और मानसिक लक्षण के आधार पर अलग -अलग दवा होती है !

12 comments:

Anonymous said...

kya ye bimari kabhi bhi thik nahi ho sakti..
maine pahle alopthy dawai lee...
us se aaram hooa ...
phir se aur hoooa..
phir ayurvedic liyaaa...
phir aaram hooa...
phir satisfaction nahi hoone se ab homeopathy le raha hoo..
vishal

Dr. Navneet Bidani said...

सोरायसिस के उपचार के लिये अत्यंत कारगर होम्योपैथिक दवाएँ हैं जो इसे जड से दूर कर सकती हैं । किसी विशेषज्ञ से उपचार कराया जाए तो लगभग ८0 प्रतिशत मामलों में यह बिमारी ठीक हो जाती है, लेकिन यह सुधार धीरे-धीरे होता है। कुल मिलाकर यह एक ठीक होने लायक बीमारी है…लाईलाज नहीं है…और यदि सही समय पर उपचार प्रारंभ किया जाये तो इसमें अच्छे परिणाम मिलते हैं।

Unknown said...

Dr.saheb muje ye bimari 4 saal se he me pahle me iska heliopethik ilaj karvaya lekin ye baar baar ho jati thi baadme me homiopethik dava chalu kiya jisme bahut paresani huyi lekin ye thik ho gaya karib 6 months ke baad ye fir ho gaya he to kya ye jad se mitega ki nahi iska uttar dijiye

Unknown said...

मेरे गालो पर गड्ढे है क्या ये होमियोपैथी से ठीक हो सकते है

पवन कुमार said...

मेरा बेटा 18 वर्ष का हुआ है उसके सर में डेन्ड़रफ़ कि तरह चमड़ी व् बाल बहुत झडते है , शरीर साफ़ है कई बार सर में बालों के चारों तरफ एक लाइन बन जाती है , क्या यह सोरय्य्सिस के लक्षण है ? इसको जांचने कि विधि बताएं और उपचार भी

Unknown said...

Dr. Sir mujhe 4 month से सोरायसिस प्रॉब्लम हे लेकिन अज्ञानता के कारण मेने 3 महीने तब एलोपेथिक दवाई ली अभी में होम्योपेथिक ले रहा हूँ तो मेरी हालत बिगड़ती जा रही हे में बहुत परेशां हूँ मुझे क्या करना चाइये की में इस बीमारी से हमेसा के लिए छुटकारा पा सकू प्लीज़ मुझे कुछ सुझाव दे।

Unknown said...

Dr. Sir mujhe 4 month से सोरायसिस प्रॉब्लम हे लेकिन अज्ञानता के कारण मेने 3 महीने तब एलोपेथिक दवाई ली अभी में होम्योपेथिक ले रहा हूँ तो मेरी हालत बिगड़ती जा रही हे में बहुत परेशां हूँ मुझे क्या करना चाइये की में इस बीमारी से हमेसा के लिए छुटकारा पा सकू प्लीज़ मुझे कुछ सुझाव दे।

Samrathal studios said...

M to es bimari se bahut paresaan hu 4 saal se mujhe yah bimari h lekin koi sahi ilaj nhi ho rha h . 6 mahine se fir ho jati h .kya kru nahut paresaan hu .koi sahi doctor ka pta bataye

Unknown said...

Sir mujhe bhi psoriasis hua he

Anonymous said...

Apply curd and yellow part of eģg mixture of his head. Then cover his head with something. After half or one hour he can wash his hair. I personally had this problem but after 2or 3 times, my dundrof problem was totally finished.

Unknown said...

मैं पिछले 18 वर्षों से सोराईसिस से पीड़ित हूँ । बहुत इलाज करवाया है । खत्म हो कर वापस लौट आता है । होमियोपैथिक में सुना है इसका कोई रामबाण अचूक इलाज है। अब रोग के कारण जीने की इच्छा खत्म होती जा रही ।सहायता प्रदान करे।

Unknown said...

Homeopathy is best for this
Root cause pe effect krti hai
Khatam ho jayga 1 year mein