Thursday, August 12, 2010
बारिश में बीमारी से करें बचाव
मानसून आ गया है और झमाझम बारिश भी शुरू हो गई है। जगह-जगह पानी का भराव और ट्रैफिक जाम इन दिनों आम है। ऐसे में ढेरों बीमारियां भी हमला बोलने को तैयार रहती हैं। मलेरिया, डेंगू, जॉइंडिस, हैजा जैसी बीमारियां पानी से ही फैलती हैं इसलिए जहां सुहानी बारिश मौसम को मजा देती है वहीं बीमारियों की के वायरस भी पानी में पलते-बढ़ते हैं।
बरसात में बीमारी फैलने का सबसे बड़ा जरिया दूषित पानी है। दूषित पानी से कई बीमारियां घर के अंदर पहुंच जाती हैं। इसके साथ कीचड़ और गंदे पानी में रहने से त्वचा संबंधी रोग भी हो जाते हैं। बरसात में सबसे ज्यादा मामले मलेरिया के होते हैं।
मलेरिया एनाफिलीज मच्छर से होता है। मलेरिया का प्रमुख लक्षण यह है कि एक निश्चित समय पर मरीज को बुखार आता है, सिरदर्द और मितली आने के साथ कंपकपी के साथ ठंड लगती है। मरीज के हाथ-पैरों में दर्द के साथ कमजोरी महसूस होती है।
बरसात के दिनों में डेंगू बुखार भी खूब फैलता है। मलेरिया की तरह यह भी मच्छर के काटने से फैलता है। वायरस से फैलने वाला डेंगू चार किस्म को होता है। यह बीमारी एडीज मच्छर से फैलती है जो ज्यादातर दिन में काटता है।
डेंगू में तेज बुखार, शरीर में और सिर में तेज दर्द होता है। बड़ों के मुकाबले यह बीमारी बच्चों में ज्यादा होती है। आम बोलचाल की भाषा में इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है क्योंकि इसके कारण शरीर और जोड़ों में खूब दर्द होता है।
पीलिया भी बरसात के दिनों में होने वाली आम बीमारी है। पीलिया रोग यानी जॉइंडिस में व्यक्ति के शरीर में खून की कमी होने लगती है। भूख मर जाती है और आंखें, नाखून, चेहरा, हथेलियां और धीरे-धीरे पूरा शरीर पीला होने लगता है।
पीलिया के शिकार व्यक्ति की भूख कम हो जाती है और शरीर में पानी और खून की बेहद कमी हो जाती है। अगर समय पर इलाज न मिले तो मरीज की मौत भी हो सकती है। इसके अलावा टाइफाइड भी दूषित पानी से हाने वाली एक बड़ी बीमारी है।
इस बीमारी में मरीज को पहले बुखार आता है जो पांचवें दिन तक लगातार बढ़ जाता है। सिरदर्द के साथ पेट में दर्द होता है। दूसरा हफ्ता आने तक मरीज के बदन पर दाग पड़ने लगते हैं। ऐसे हालात में पहुंचने से पहले ही तुरंत डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।
इन बीमारियों से बचना ही सबसे अच्छी स्थिति है लेकिन सावधानी के बाद भी यदि बीमारी हो जाए तो घबराने के बजाय डॉक्टर के परामर्श से इलाज कराकर जल्द ही सेहत में सुधार किया जा सकता है। मलेरिया से बचने के लिए मच्छरदानी में सोएं, और घर के आसपास पानी न जमा होने दें। घर के पास अगर पानी जमा भी होता है तो उसमें मच्छर और कीटाणु न पनपने पाएं इसके लिए दवाओं का छिड़काव कराएं।
मच्छर काटने के कम से कम 14 दिन बाद मलेरिया के लक्षण सामने आते हैं। अगर डेंगू बुखार है तो तुरंत डॉक्टर की मदद लें और उचित दवा लेकर बुखार कम करें। रोगी को डिस्प्रिन, एस्प्रीन कभी ना दें। हैजा से बचने के लिए पानी को उबाल कर पिएं और खाने को पूरी तरह पकाकर खाएं। साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। पीलिया होने पर खाने में खास ध्यान देने की जरूरत होती है। पानी उबाल कर पीएं और हल्का खाना खाएं। तले और मसालेदार खाने से बचें। बरसात के मौसम में बीमारियों से बचने के लिए बाहर का खाना बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।
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